5-B का छात्र
पढता हुँ सरकारी स्कूल
कणियाम्बेटा में .
मैं सच सच बतलाऊँगा
अपनी पढाई की कहानी.......
कक्षा में थे 50 छात्र,
वह भी पिछडे
केवल दो ही कालांश थे
हिन्दी में.
वह भी हफ्ते के अंतिम बेला में.
क्या करुँ...बेचारी
हाँफती थी कभी...कभी.
कुछ करने को विवश थी,
लेकिन कुछ न कर पायी बेचारी.
नतीजा क्या हुआ....
आज भी मैं निरक्षर
पढ-लिखने में असमरथ
Ajikumar wayanad
आपको पढकर के अच्छा लगा कि आपको हिन्दी नहीं आती है फिर भी आप हिन्दी बोलने-लिखने का प्रयास कर रहे हैं.
ReplyDeleteआप यूँ ही प्रयास करते रहें, रामजी ने चाहा तो सब अच्छा ही होगा.
वह ऊपर वाला भी हमारी परीक्षा लेता रहता है और हमेँ उसमें उत्तीर्ण होने का प्रयास करते रहना चाहिये.
शुभकामनाएं.
अच्छी कोशिश है...जारी रखिए।
ReplyDeleteबहुत बढिया....अच्छी सोच है.
ReplyDeletewww.jugaali.blogspot.com